Saturday, February 16, 2013

ब्रह्मा जी की प्रेरणा से देवता आदि के द्वारा विभिन्न वानर यूथ पतियों की उत्पत्ति


श्री सीतारामाचन्द्राभ्या नमः
श्रीमद्वाल्मीकिरामायणम्
बालकाण्डम् 



सप्तदशः सर्गः

ब्रह्मा जी की प्रेरणा से देवता आदि के द्वारा विभिन्न वानर यूथ पतियों की उत्पत्ति

श्री विष्णु देव प्राप्त हुए, पुत्र भाव को जब राजा के
कहे सभी देवों को ये, दिव्य वचन तब ब्रह्मदेव ने

सत्य प्रतिज्ञ, वीर हैं विष्णु, तुम सहायक बनो उन्हीं के
सृष्टि करो ऐसे पुत्रों की, हों नीतिज्ञ व धारक बल के

इच्छानुसार रूप धरते हों, माया को जानने वाले
वेगवान वायु समान हों, नहीं परास्त होने वाले

बुद्धिमान, पराक्रमी भी, दिव्य देहधारी देवों सम
अमृत भोजी, युक्तिवान भी, अस्त्र विद्या में हो सम्पन्न

मुख्य-मुख्य अप्सराएँ हों, या गन्धर्व व नाग कन्याएं
विद्या धरियाँ, किन्नरियाँ, वानरियां भी बनें सहाय

वानर रूप में जन्मो पुत्र, जो तुम से ही हों पराक्रमी
मैंने सृष्टि की, जम्भाई से, ऋक्षराज जाम्बवान की

ब्रह्मा के ऐसा कहने पर, स्वीकारी आज्ञा उनकी
बलशाली अनेक पुत्रों की, वानर रूप में सृष्टि की

ऋषि, महात्मा, सिद्ध, नाग ने, विद्याधर और चारण भी
जन्म दिया वीर पुत्रों को, वानर व भालुओं रूपी

देवराज का पुत्र था बाली, पर्वत सा महा बलिष्ठ था
तपस्वियों में श्रेष्ठ सूर्य ने, सुग्रीव को जन्म दिया

महाकाय तार वानर था, पुत्र महान बृहस्पति का
गंधमादन कुबेर पुत्र श्रेष्ठ, नल विश्वकर्मा का था

अग्नि के समान नील था, अग्निदेव का पुत्र प्रिय
तेज, बल, और यश में आगे, पिता शरभ का पर्जन्य

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर और सार्थक रचना.सुन्दर शब्द विन्याश
    latest postअनुभूति : प्रेम,विरह,ईर्षा

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  2. सुन्दर....सार्थक...सुन्दर

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  3. कालीपद जी, व पूनम जी, स्वागत व आभार !

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