Monday, May 23, 2011

वह कौन है


वह कौन है

कहीं भीतर कोई सोता फूट पड़ा हो जैसे
भाव ऐसे छलकाने लगता है मन
सब कुछ अच्छा, बेहद अच्छा लगने लगता है...

आँखें एक पल के लिये नम हो जातीं,
बिखर जाती होठों पर सतरंगी मुस्कान

वह कौन है अंदर जिसको छू जाता है प्यार
छू जाती है ओस की ठंडक
रातों की चाँदनी और सुबह की धूप
इतनी शिद्दत से कि पोर-पोर सिहर उठता है..

वह कौन है जो आँसू देखकर खुद आँसू बहाने लगता है
और बिखेर देता है हँसी दूसरों के सुख में
क्या वहीं कहीं ईश्वर का बसेरा है
जो निर्विकार रहता है, किन्तु कभी कहीं भीतर कोई ....

अनिता निहालानी
२३ मई २०११ 

8 comments:

  1. iss yaatra mein main aapki sahbhaagi hun..chaliye dhoondha jaaye ki wah koun hai ! :-)

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  2. यह वही तो है जिसे जाने-समझे बिना जीवन में सब कुछ मिलने के बाद भी एक खालीपन का , जीवन की व्यर्थता का अनुभव होता है । उसकी तलाश अनन्त है । पर इतना अहसास होना भी एक उपलब्धि है ।

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  3. कहीं भीतर कोई सोता फूट पड़ा हो जैसे
    भाव ऐसे छलकाने लगता है मन
    सब कुछ अच्छा, बेहद अच्छा लगने लगता है...
    bahut bhawpurn

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  4. भावपूर्ण रचना प्रश्न का उत्तर खोजती हुई,बहुत अच्छी अभिव्यक्ति ,बधाई

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  5. you are most welcome Babusha ! आप सभी का आभार !

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  6. वह कौन है जो आँसू देखकर खुद आँसू बहाने लगता है
    और बिखेर देता है हँसी दूसरों के सुख में
    क्या वहीं कहीं ईश्वर का बसेरा है
    जो निर्विकार रहता है, किन्तु कभी कहीं भीतर कोई ....

    इतने अकाछे भाव के लिए आपका आभार . ..!!
    मन एक अजीब सी उमंग से भर जाता है यहाँ आकर ...!!

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