Friday, January 21, 2011

बैंग ऑन द डोर

बैंग ऑन द डोर

युगों से हम खड़े थे
दिल के दरवाजे पर
जो बंद ही रहा
हजार दस्तकों के बावजूद !

और.... तब तुम आये
सिखाया खटखटाना
भीतर जो उतरे
तुम्हें पाया
तुम्हीं तो थे पथप्रदर्शक
और तुम्हीं तो थे 
जहाँ हमें पहुंचना था !

अनिता निहालानी
२१ जनवरी २०११

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