बैंग ऑन द डोर
युगों से हम खड़े थे
दिल के दरवाजे पर
जो बंद ही रहा
हजार दस्तकों के बावजूद !
और.... तब तुम आये
सिखाया खटखटाना
भीतर जो उतरे
तुम्हें पाया
तुम्हीं तो थे पथप्रदर्शक
और तुम्हीं तो थे
जहाँ हमें पहुंचना था !
अनिता निहालानी
२१ जनवरी २०११
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