Sunday, January 16, 2011

ध्यान

ध्यान

चलो खुद से मिलें
सोहम् की पतवार थामे
मनसागर में दूर तक निकलें !

चलो अन्तर्पट खोलें
नयनों के द्वार बंद कर
निधियों के अम्बार से सच्चे मोती पालें !

चलो मन से बतियायें
मन जो धुला-धुला सा
निष्पाप, निर्दोष
उसे जानें
श्वासों की लय पर जो थिरका
कभी हँसा, उसे गा लें

अनिता निहालानी
१७ जनवरी २०११


2 comments:

  1. श्वासों की लय पर जो थिरका
    कभी हँसा, उसे गा लें

    जय गुरु देव -
    सुंदर अभिव्यक्ति
    मन शांत कर गयी -

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