अनुभूति
जैसे कोई गागर में प्यार भरे
और उड़ेल दे
पोर-पोर सिहरे
डूब जाये मन अपने ही गह्वर में !
जैसे कोई नयनों में मनुहार भरे
और तकता रहे
निर्निमेष
भीग जाये मन उस शीतल आग में !
या फिर कोई हाथ थामे
और ले चले
निज सँग
आनंद, शांति और प्रेम के गाँव में !
अनिता निहालानी
११ जनवरी २०११
या फिर कोई हाथ थामे
ReplyDeleteऔर ले चले
निज सँग
आनंद, शांति और प्रेम के गाँव में !
बहुत खूबसूरत अनुभूति
बधाई -
इस अनुभूति से कुछ हम भी भीग से गए हैं पोर-पोर...... . सच......!!
ReplyDeleteआनंद, शांति और प्रेम के गाँव में..........सुन्दर !
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