Friday, December 17, 2010

भावांजलि

प्रीत में मिटकर जीवन पाया
मृत्यु को निज दास बनाया,
प्रियतम ने कुछ भेद बताए
जीवन उत्सव सहज बनाया !

न माँगा न कुछ दिया परिचय
बस मौन में ही सब कह डाला,
पथिक प्यासा वह बन आया
रह गयी चकित पनघट बाला !

2 comments:

  1. behad hi khubsurat aur aatmik rachna.......anita ji aapka jawab nhi

    ReplyDelete
  2. मौन में ही सब कुछ स्पष्ट होता हुआ सा....
    सुन्दर!!!

    ReplyDelete